आपको यह रोग कैसे होता है?: डायबिटीज, मोटापा, ह्रदय रोग, हाई कोलेसट्राल तथा अन्य जीवन शैली विकार

आपका शरीर खून में शक्कर की मात्रा को कैसे नियंत्रित करता है?

आज हम जानेंगे की आपका शरीर, भोजन को कैसे तोड़ कर उसे खून में absorb करता है, तथा खून में शक्कर की मात्रा को कैसे नियंत्रित करता है? आप यह भी समझेंगे कि आप कैसे मोटे हो जाते हैं और कैसे खून में शक्कर तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है?

इन बातों को जानने पर, आप अपनी तथा दुसरे जरूरतमंद लोगों की समस्याओं का हल निकाल सकेंगे |

प्रकृति ने आपके शरीर को कुछ इस तरह से बनाया है, कि आप जब खाना खाते हैं, तो यह भोजन पाचन तंत्र में ले जाया जाता है। पाचन तंत्र में भोजन शक्कर, अमीनो एसिड, लिपिड जैसे छोटे रूप में टूट जाते है। जब आप रोटी, मिठाई या सफेद चावल जैसे साधारण कार्ब्स खाते हैं, तो इसे पाचन तंत्र शुगर यानी शक्कर में बदल देता है ऐसा मान लीजिये की शक्कर साधारण कार्ब्स का ही छोटा टूटा हुआ स्वरुप है। यदि आप दाल, पनीर, मांस या मछली खाते हैं, तो इसे पाचन तंत्र तोड़ कर अमीनो एसिड में बदल देता है, अमीनो एसिड प्रोटीन का छोटा टूटा हुआ स्वरुप है। यदि आप घी, मक्खन, तेल या क्रीम खाते हैं, तो इसे पाचन तंत्र तोड़ कर लिपिड में बदल देता है  लिपिड चर्बी का छोटा टूटा हुआ स्वरुप है।

अब, यह पोषक तत्व ब्लड वेसल्स के माध्यम से खून में मिल जाते हैं। खून में शक्कर, लिपिड और अमीनो एसिड की मात्रा का आकलन करने के बाद पैंक्रियास के बीटा-सेल्स, कैल्शियम पाथवे सहित कई बायो-केमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से खून में शक्कर की मात्रा को सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन करती है |

अब, यह इंसुलिन ब्लड वेसल्स में बहने लगता है। आपके शरीर के सेल्स को अपने नियमित कार्यों को करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में शक्कर यानी ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। लेकिन, इंसुलिन की अनुपस्थिति या निष्क्रियता के कारण ग्लूकोज साधारण भाषा में शक्कर कोशिका में प्रवेश नहीं कर पाता है। अब, हम कोशिका  स्तर पर इस तंत्र को समझते हैं। जैसे ही इंसुलिन सेल की दीवार पर इंसुलिन रिसेप्टर से चिपक जाता है, यह सेल में जटिल इंट्रासेल्युलर प्रक्रिया GLUT4 को सक्रिय कर देता है और यह GLUT4 सेल में शक्कर के प्रवेश को सुनिश्चित करता है, जहां ऊर्जा के रूप में विभिन्न कार्यों को करने के लिए शक्कर का उपयोग किया जाता है।

ग्लूकोज कोशिका में बिना इंसुलिन के केवल एक ही माध्यम से प्रवेश कर सकता है, वह है व्यायाम | जी हां, व्यायाम इंसुलिन की अनुपस्थिति में भी ग्लूकोज को कोशिका में प्रवेश करने में मदद कर सकता है। यह खून में शक्कर की मात्रा को नीचे लाने में काफी कारगर होता है।

टाइप 1 डायबिटीज में जहां इंसुलिन अनुपस्थित या अपर्याप्त होता है, शरीर के सेल अपने मूल कार्यों के लिए शक्कर का इस्तेमाल नही कर पाते है, क्योंकि आपकी कोशिकाओं के अन्दर शक्कर को ले जाने वाला इन्सुलिन ही नहीं है।

लेकिन, टाइप 2 डायबिटीज के मामले में, इंसुलिन सामान्य रूप से रिसेप्टर्स से चिपक जाता है, लेकिन, वह शक्कर को सेल के अन्दर पहुँचाने वाली क्रिया को चालू करने में असफल रहता है या यूँ कह लीजिये की शक्कर के लिए सेल के दरवाजे को खोलने में विफल रहता है. जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कहते है। इंसुलिन रेजिस्टेंस में, सेल इंसुलिन के लिए असंवेदनशील होता हैं, अर्थात्, रिसेप्टर पर इंसुलिन की उपस्थिति के बाद भी, चीनी सेल में प्रवेश नहीं कर पाता है, क्योंकि सेल का आंतरिक तंत्र शक्कर को अन्दर आने देने के लिए तैयार ही नहीं है। नतीजतन, सेल बहुत कम मात्रा में शक्कर का उपयोग कर पाता है, जिसके परिणामस्वरूप सेल की पास  सामान्य कार्य करने के लिए भी ऊर्जा नहीं होती। अब, खून में बह रहे शक्कर को कहीं जाने की जगह नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड शक्कर बढ़ जाता है। ऐसी अवस्था में, यदि आप रक्त परीक्षण करते हैं, तो ब्लड शक्कर बढ़ा हुआ मिलेगा ।

यदि आप बहुत अधिक मात्रा में साधारण कार्ब्स खाते हैं उदाहरण के तौर पर शक्कर, मिठाई, मैदा, रोटी, चावल आदि, या आपको  डायबिटीज है, दोनों ही स्थिति आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर आपको इंसुलिन रेजिस्टेंट बना देगा । यदि आप इंसुलिन रेजिस्टेंट बन जाते हैं, तो शक्कर सेल में प्रवेश नहीं कर पायेगा, इसका मतलब सेल को कोई ऊर्जा ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी, इससे आपको थकावट महसूस होगी।

दूसरी तरफ, इंसुलिन खून में बह रही अतिरिक्त शक्कर को लीवर में, ग्लाइकोजन के रूप में जमा करके रखता है। लीवर में 100 ग्राम तथा मांसपेशियों में 500 ग्राम ग्लाइकोजन की जमा करने की सीमा पार हो जाने के बाद, इंसुलिन आपके खून में बह रहे शक्कर को लिपिड तथा ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित कर देता  है, इसलिए आपका ब्लड कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ने लगता है। यदि यह ब्लड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा दिनों के लिए बढ़ा रहता है, तब यह शरीर में चर्बी के रूप में जमा होने लगता है, यह चर्बी विशेष रूप से तोंद तथा मांसपेशियों में जमा होती है। यह चर्बी लीवर में फैटी लिवर का कारण बनता है, रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज, हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बनता है। कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कोशिका में शक्कर के प्रवेश के लिए दरवाजे के बंद होने के लिए जमा चर्बी जिम्मेदार है, जिसे हम इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कहते  है। अब आप जाने ही गए होंगे की आपके ब्लड में शक्कर, कोलेस्ट्रॉल क्यों बढ़ रहा है या आपका वजन क्यों बढ़ रहा हैं? अब आप फैटी लिवर, हृदय रोग स्ट्रोक आदि का कारण भी जान गए होंगे ।

जिस किसी की तोंद बढ़ रही है,  यह समझ लीजिये कि वह इंसुलिन रेसिस्टेंट है। येही हाई कोलेस्ट्रॉल ब्लड वेसल में रुकावट का कारण बनता है।

तो दोस्तों, यहाँ हमने यह सीखा की कार्बोहायड्रेट उदाहरण के लिए चीनी, मिठाई, रोटी सफ़ेद चावल, साबूदाना, आलू इत्यादि तथा इंसुलिन रेजिस्टेंस ही आपके हाई ब्लड शक्कर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और हृदय रोग का मुख्य कारण है |

अब, आप विभिन्न प्रकार के रोगों के पीछे का असली कारण जान गए हैं, अगले में, हम इन बीमारियों निपटने के सरल तरीके सीखेंगे, हाँ यह सच है, आप कुछ सरल उपायों से कई गंभीर बीमारियों से निजात पा सकते हैं।

 

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