आज हम जानेंगे की प्रकृति ने आपको जीवित और स्वस्थ्य रखने के लिए किस प्रकार आपके शरीर को डिजाईन किया है, तथा कैसे यह डिजाईन विफल हुआ | इस शारीरिक डिजाईन को समझ कर आप खुद ही अपने स्वास्थ्य का पूरी तरह ध्यान रख पायेंगे |
पिछले वीडियो में, आपने देखा कि आपका शरीर आपकी ब्लड में शक्कर को कैसे नियंत्रित करता है। यदि आपने वह विडियो नहीं देखा है, तो कृपया ऊपर या नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करें ओर उसे अवश्य देखे।
अब, रोटी, बर्गर, मीठा, डोनट, सफ़ेद चावल या चीनी जैसे बहुत सारे साधारण कार्ब्स, जिन्हें आप खाना पसंद करते हैं, वास्तव में यह असंख्य बीमारियों का कारण बनते हैं, या लगभग सभी बीमारियों को बढाते है ?
रोगों की रोकथाम या उससे मुक्ति पाने के लिए, आइए हम सबसे पहले उस काल में वापस चलते हैं जब मनुष्य प्रथ्वी पर आया था। मानव शरीर को प्रकृति द्वारा उन परिस्थितियों में स्वस्थ रूप से कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो मनुष्य की उत्पत्ति के समय पृथ्वी पर मौजूद थे।
उस काल में मनुष्य, बिना कपड़ों के सूर्य के प्रकाश में प्रथ्वी पर घूमते थे, इस पूरे शरीर पर पद रहे धुप की मदद से शरीर विटामिन डी बनता था ।
शाम को, सूर्यास्त के बाद, शरीर प्रकाश की अनुपस्थिति में या मंद प्रकाश में मेलाटोनिन बनता था, जिससे मनुष्य को अच्छी और गहरी नींद आती थी, आधी रात के बाद गहरी नींद में, पिट्यूटरी ग्रंथि से ग्रोथ हार्मोन निकलता था, एवम यह ग्रोथ हार्मोन शरीर मे पुरानी कोशिकाओं को बदल कर नयी कोशिकाएं बनाकर शरीर को स्वस्थ बनाये रखता था ।
अगली सुबह, धुआं एवम धूल रहित स्वच्छ वातावरण मे, वे भोजन के लिए इधर-उधर टहलते थे, ताकि वे भोजन प्राप्त कर सकें, वे मीलों चलते थे, जड़ खोदते थे, पेड़ों पर चढ़ते थे, तीर चलाते थे, जिससे बहुत सारी कैलोरी जल जाती थी अर्थात रक्त में शक्कर का उपयोग होता था।
भोजन पाने के बाद, वे उन्हें बिना पकाए, बिना नमक, शक्कर केचप एवम बिना मसालों के भोजन को कच्चा खाते थे। कच्चे खाद्य पदार्थ जटिल कार्ब्स, फाइबर, प्रोटीन, स्वस्थ वसा और अन्य पोषक तत्वों के उत्तम स्रोत हैं। प्रकृति जानती थी कि मनुष्यों को हर समय भोजन नहीं मिलेगा, इसलिए मौसम के अनुसार, प्रकृति ने एक विशेष तंत्र तैयार किया, जहां, जो कुछ भी मनुष्य खाता था, शरीर की आवश्यकता पूर्ण होने के बाद बचे हुए पोषक तत्त्व, शरीर में ग्लाइकोजन एवं चर्बी के रूप में जमा कर लिया जाता था, कठिन परिस्थितियों के लिए शरीर में पोषक तत्वों को जमा करने के इस महत्वपूर्ण कार्य को इंसुलिन अंजाम देता है ।
शरीर की प्रक्रति ने कुछ इस तरह रचना की है, की जब मनुष्य को भोजन नहीं मिलता था, तब संग्रहित ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल कर ऊर्जा पैदा करता था । लेकिन, ग्लाइकोजन की लीवर में लगभग 100 ग्राम तथा मांसपेशियों में 500 ग्राम तक जमा होने की सीमा है, जो की 10-18 घंटों के लिए बिना भोजन के रहने के लिए पर्याप्त है। लेकिन इसके बाद भी, यदि भोजन उपलब्ध नहीं होता, तब शरीर अन्य टिश्यू जैसे ट्यूमर, खराब सेल्स आदि को तोड़ कर खाने लगता है, तथा ऐसे गैर-जरूरी प्रोटीन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग करता है इस प्रक्रिया को ऑटोफेजी कहा जाता है
उपवास की अवधि के दौरान पहले 18-48 घंटे में यह ऑटोफेजी अपने चरम पर होता है, इस बीच, शरीर चर्बी जलाने के लिए तैयार हो जाता है चर्बी के जलने पर कीटोन्स उत्त्पन्न होते हैं कीटोन्स ऊर्जा स्रोत का एक और स्वरुप हैं तथा शक्कर की तुलना में बहुत धीरे धीरे जलती है, चर्बी के भंडार के जल जाने के बाद, यदि भोजन अभी भी उपलब्ध नहीं होगा, तो शरीर एक बार फिर से प्रोटीन को शक्कर में परिवर्तित करना शुरू कर देता है जिसे ग्ल्युकोनियोजेनेसिस भी कहा जाता है, लेकिन, इस बार मांसपेशियों के प्रोटीन को तोडकर इसे ईंधन स्रोत के रूप में उपयोग मे लाया जाता है, अंत में अगर भोजन फिर भी उपलब्ध ना हो तो अंगों का प्रोटीन गलने लगता है।
प्रकृति ने बहुत सावधानीपूर्वक इस जटिल प्रक्रिया को डिजाइन किया, ताकि, मनुष्य स्वास्थ्य रह सके तथा भोजन न मिलने के कठिन दौर में भी जीवित रह सके, लेकिन, प्रकृति ने कभी भी मानव मस्तिष्क की असाधारण क्षमता का अनुमान नहीं लगाया, प्रकृति ने कभी नहीं सोचा होगा की मनुष्य भोजन का भंडारण करना शुरू कर देंगे, फसलें उगाएंगे, खाने को प्रोसेस तथा प्रीसर्व करेंगे। कपड़े पहन कर धूप से बच जायेंगे, इलेक्ट्रिक आर्टिफिशियल लाइट्स के साथ देर रात तक काम करेंगे, बिना मेहनत किये बिना पसीना बहाए अपने घरों में बैठे बैठे खाना ऑर्डर करेंगे | आप कार में गलत इंधन डाल कर उलटे सीधे तरीके से उसे चला कर ये कैसे चाह सकते हैं की वह बढ़िया कंडीशन में रहे ?
इसलिए प्रक्रति द्वारा निर्मित अद्भुत तंत्र, जो की स्वस्थ्य रहने के लिए बनाया गया था, वह बिगड गया और मनुष्य तथाकथित जीवन शैली के विकारों में फंस गए।
अब आप मानव शरीर के डिजाइन और उन स्थितियों के बारे में समझ गए हैं जिनके लिए आपका शरीर डिजाइन किया गया था, तो आप अपने जीवन के उन गतिविधियों को अच्छी तरह जान गए होंगे जिनसे आप बीमार हुए है। आशा है, कि आप समझ गए होंगे कि यदि आप उन गतिविधियों को अपनाते हैं जिनके लिए आपका शरीर वास्तव में बनाए गया था, तो रोग की रोकथाम तथा उससे मुक्ति पाना संभव है, इसलिए अपने शरीर को एक बार फिर से उस तरह उपयोग करना शुरू करें, जिसके लिए मूल रूप से इसको डिजाइन किया गया था। हां, प्रकृति में वापस जाकर, आप अपने जीवन में क्या बदलाव करेंगे नीचे कमेंट में लिखना न भूलें।