इस विडियो में आज आप जानेंगे की हमारे शरीर का प्रकृतिक डिजाईन किस तरह वर्त्तमान परिस्थितियों में विफल हुआ और किस प्रकार इस डिजाईन के अनुरूप प्राकृतिक बातें अपना कर प्राकृतिक रूप से किसी भी रोग से मुक्ति पाई जा सकती है |
पिछले वीडियो में, हमने चर्चा की थी कि प्रकृति ने मनुष्यों की कैसे डिजाइन और रचना की है । आप इस तथ्य की सराहना करेंगे कि हमारी जीवनशैली में अत्यधिक परिवर्तन के बावजूद, मनुष्य अभी भी तुलनात्मक रूप से स्वास्थ्य जीवन जीते हैं, यह प्रकृति के डिजाइन की सुंदरता है।
हम अब कच्चा खाना नहीं खाते हैं, कच्चा खाना तो छोड़ दीजिये, हम अब अपने भोजन को जरूरत से ज्यादा पकाते है, जिससे हम आवश्यक पोषक तत्व तथा फाइबर खो देते हैं जो की अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।
हम पूर्ण बांह के कपड़े पहनते हैं, सनस्क्रीन का उपयोग करते हैं और अधिक समय घर के अंदर धूप से दूर रह कर बिताते हैं, जबकि सुर्य कि रोशनी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यआवश्यक है, साथ ही विटामिन डी हमे प्रसन्नचित रखता है और कई अप्रत्यक्ष लाभ भी देता हैं। हम गैजेट्स सहित कृत्रिम रौशनी में शाम और देर रात बिताते हैं। जो हमारी नींद की गुणवत्ता और आवश्यक हार्मोन से वंचित करता है जैसा कि ग्रोथ हार्मोन ,जो कि नींद के दौरान शरीर के ख़राब कोशिकाओं तथा भागों की मरम्मत के लिए आवश्यक होता है
हम सुबह प्रदूषण भरे वातावरण में उठते हैं, आधुनिक वाहनों में चलते हैं,शून्य कैलोरी जलाते हैं। खाद्य उद्योग ने हमें दिन में तीन बार खाना पीना सिखाया है, चाहे हमने पिछले भोजन से प्राप्त शक्कर को जलाया हो या नहीं, पेय पदार्थों को तो छोड़ ही दीजिये, इसकी तो कोई सीमा ही नहीं है, अतिरिक्त भोजन को स्टोर करने की प्रक्रिया शरीर पर बोझ डालती है और बार बार भोजन करने पर बार बार खून में इन्सुलिन आ जाता है,इन्सुलिन जब बार बार अनचाहे शक्कर को कोशिकाओं में भेजने की कोशिश करता है तब कोशिका परेशान हो कर अपने दरवाजे बंद कर लेती है जिसके कारण कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाती हैं जिसे इन्सुलिन रेजिस्टेंस भी कहते हैं, जब अतिरिक्त शक्कर कोशिकाओं में नहीं जा पाता है तब इन्सुलिन इस अतिरिक्त शक्कर को चर्बी में परिवर्तित कर देता है इस प्रकार शरीर में मोटापा, डायबिटीज, उच्चरक्त चाप, ह्रदय रोग, थायराइड आदि जन्म लेता है।
इस तरह की जीवनशैली में, जहाँ हम पूरे समय खाते रहते हैं, हमें रोग के एक नए समूह का सामना करना पड़ रहा है, जो की डायटरी एक्सेस डिसीज (डीईडी) भोजन के अधिकता की बिमारी कहलाती है । जिसे जीवन शैली विकार के रूप में भी जाना जाता है, जीवनशैली को नियमित करने की बजाय, मल्टी ट्रिलियन फार्मा इंडस्ट्री ने हमें कुछ गोलियों को उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है, ताकि इन बीमारियों को ठीक करने के बजाय ओर अधिक बीमारियो का जन्म हो सके, और उनके लिए खरबों डॉलर का चक्र बना रहे।
यह समय है जागने का, और अपने स्वास्थ्य को अपने हाथ में लेने का। तो हम क्या करे?
अभी बताये गए बातों के ठीक विपरीत हमारे पूर्वजों की तरह श्रम करके भोजन प्राप्त करने की बजाय, इसके बिल्कुल विपरित हम बैठने और तनाव लेने काम करते हैं ।
हमारे शरीर की सहन करने की सीमा से बाहर, दिन रात शारीरिक रूप से थकने की बजाय, हम मानसिक रूप से थके होते हैं । अभी भी बीमारियों को रोकने के लिए हमारे शरीर की पुकार को हम नहीं सुन रहे है। हम अपने शरीर का अत्यधिक उपयोग करना जारी रखे हुए हैं, जिसके लिए हमारा शरीर कभी बनाया ही नहीं गया था, क्या आपको लगता है,कि यह आश्चर्य की बात है कि हमारे आस पास जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ महामारी के अनुपात में बढ़ रहे हैं।
चलिए जागरुक हो कर, इस समस्या से बचें।